दस वर्ष से महिला बना रही सरकारी स्कूल में खाना, पांडोला सरपंच ने मनरेगा में बना दिया मजदूर

अधिकारियों की सह पर हो रहा खुलेआम भ्रष्टाचार, कार्रवाई से कन्नी काट रहे जिला पंचायत सीईओ-दस वर्ष से महिला बना रही सरकारी स्कूल में खाना, पांडोला सरपंच ने मनरेगा में बना दिया मजदूर अधिकारियों की सह पर हो रहा खुलेआम भ्रष्टाचार, कार्रवाई से कन्नी काट रहे जिला पंचायत सीईओ

राहुल जैन (सहायक संपादक)
भोपाल श्योपुर ! जिले की ग्राम पंचायत पांडोला में सरपंच सचिव के रुतबे के आगे जिला प्रशासन भी बौना साबित हो रहा है। महिला सरपंच को दरकिनार कर सरपंची चला रहे पति ने अधिकारी कर्मचारियों को हाशिए पर रख दिया है। तमाम शिकवा शिकायतों और अखबारों की सुर्खियों में आने के बावजूद पांडोला के दबंग सरपंच पति पर कोई कार्रवाई प्रस्तावित नहीं हो पा रही। कलेक्टर से लेकर जिला पंचायत सीईओ जैसे ताकतवर अधिकारी भी एक अदने से सरपंच के सामने फीके पकवान साबित हो रहे हैं। इसी पावर के दम पर पांडोला ग्राम पंचायत में सरपंच पति मनमाने तरीके से सरकारी राशि को हड़पने पर उतारू है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि सरपंच पति की दबंगई के चलते ग्रामीण अपना मुंह खोलने से भी कतराते हैं।
दैनिक चम्बल नवराष्ट्र लगातार दो माह से पांडोला ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना में हो रहे भ्रष्टाचार की खबरें प्रमुखता से उठा रहा है लेकिन जनपद और जिला पंचायत के अधिकारियों की कुंभकर्णी नींद खुलने का नाम ही नहीं ले रही। मनरेगा योजना के तहत फर्जी मस्टर भरने का एक मामला और सामने आया है। दरअसल शासकीय प्राथमिक शाला दयालपुरा में विगत 10 वर्षों से रसोईया के पद पर काम करने वाली लक्ष्मी जंगम को ही सरपंच सचिव ने मजदूर बना डाला। इतना ही नहीं उससे मजदूरी कराए बिना ही खाते में लगातार मजदूरी का भुगतान कराया जाता रहा। मामला उजागर हुआ तो ज्ञात हुआ कि लक्ष्मी जंगम के नाम से पंचायत ने सरकारी राशि का हेरफेर किया है। इस मामले में प्राथमिक विद्यालय के स्टाफ से लेकर स्वयं लक्ष्मी जंगम अचंभित है। बकौल लक्ष्मी जंगम, वह कभी मनरेगा में मजदूरी करने नहीं गई। विगत दस वर्षों से वह प्राथमिक विद्यालय में रसोईया के रूप में कार्य कर रही हैं।पंचायत द्वारा कहीं अन्य जगह से पैसे डलवाने के नाम पर उनसे बैंक खाता लिया गया था। उन्हे नहीं पता था कि ग्राम पंचायत पांडोला में मनरेगा योजना के तहत उनके नाम से मस्टर भरकर या राशि आहरित की जा रही है।

ग्रामीण बोले, महिला सरपंच का हक छीन रहा सरपंच

ग्रामीण सत्यनारायण तिवारी ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए पंचायती राज में पचास प्रतिशत आरक्षण दे रही है वहीं पांडोला पंचायत में महिला सरपंच का पति ही उसका हक मारने पर उतारू है। ग्राम पंचायत में बैठकों से लेकर निर्माण कार्यों में पति का दखल ही चलता है। उन्होंने बताया कि पंचायत का कोई व्यक्ति जब काम कराने के लिए महिला सरपंच के पास जाता है तो उसका पति दुत्कार कर भगा देता है। ग्राम पंचायत में विकास के नाम पर महज कोरा कागज है। कागजों पर ही विकास हो रहा है धरातल पर कुछ भी नहीं है। मनरेगा में फर्जी मस्टर भरकर लाखों रुपए निकाले जा रहे हैं। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत द्वारा शासकीय चिकित्सालय के पास सड़क डालने के नाम पर जो पैसे निकाले गए हैं वह पूरी तरह से फर्जी हैं। उक्त मार्ग पर किसी भी तरह का सड़क निर्माण नहीं किया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत ने 45 हजार रुपए की लागत से ठंडे पानी के लिए जो वाटर कूलर खरीदा था वह वाटर कूलर सरपंच पति ने अपनी दुकान पर ही लगा लिया है। इससे स्पष्ट होता है कि ग्राम पंचायत पांडोला में सरपंच पति अपनी मनमानी कर रहा है।
आखिर सरपंच पर इतनी मेहरबानी क्यों दिखा रहा प्रशासन

पांडोला सरपंच पति की कारगुजारियां किसी से छिपी नहीं है। बात चाहे मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार की करें या फिर महिला सरपंच के अधिकारों के हनन की, तमाम शिकायतों और अखबार में खबरें प्रकाशित होने के बाद भी प्रशासन पांडोला पंचायत में दखल देने में हिचकिचा क्यों रहा है। आखिर क्या कारण है कि जनपद पंचायत के साथ जिला पंचायत सीईओ भी इस मामले में कार्रवाई करने से बचते नजर आ रहे। कहीं ऐसा तो नहीं कि इस भ्रष्टाचार की जड़ें जनपद एवं जिला पंचायत तक जमीं हो ताकि किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई न हो। वजह कुछ भी हो लेकिन दैनिक चम्बल नवराष्ट्र इस मामले को तब तक उठाता रहेगा जब तक प्रशासन की कुंभकर्णी नींद नहीं खुल जाती।
इस मामले में जब जिला पंचायत सीईओ अतेंद्र सिंह गुर्जर से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि मामले में अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है, यदि आपके पास कोई प्रमाण हो दे दीजिए मैं कार्रवाई करवा देता हूं। यहां आपको बता दें कि दैनिक चम्बल नवराष्ट्र द्वारा लगाई गई प्रत्येक खबर पूर्णतः सत्यता और तथ्यों के आधार पर लगाई गई है इस मामले के कई प्रमाण भी जिला पंचायत सीईओ को उपलब्ध कराए गए ताकि दोषियों पर कार्रवाई की जा सके। लेकिन जिला पंचायत सीईओ ने कार्रवाई तो दूर, खबरों की सत्यता के आधार पर जांच करवाना भी मुनासिब नहीं समझा। बहरहाल प्रशासन का नजरिया कुछ भी हो लेकिन दैनिक चम्बल नवराष्ट्र इस मामले को तब तक उठाता रहेगा जब तक प्रशासन की कुंभकर्णी नींद नहीं खुल जाती।

इनका कहना है

मैंने पांडोला ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना के तहत कभी भी मजदूरी का कार्य नहीं किया। मुझे यह भी नहीं पता कि मेरे नाम से फर्जी मस्टर भरे जा रहे हैं। सरपंच द्वारा कहीं से पैसे डलवाने की बात बोलकर मेरा बैंक खाता लिया था। मैं और मेरी बेटी शासकीय विद्यालय में खाना बनाने का कार्य करते हैं।

लक्ष्मी जंगम, रसोईया

पांडोला ग्राम पंचायत श्योपुर जिले की बड़ी पंचायत है। इस पंचायत में महिला सरपंच की जगह उसका पति का आदेश चलता है। वहीं विकास कार्यों के नाम पर पंचायत में कोई कार्य नहीं हुआ है। फर्जी मस्टर भरकर मनरेगा योजना से लाखों रुपए निकाले जा रहे हैं। इस पंचायत में जिले के बड़े बड़े राजनीतिक लोगों का दखल है तभी अधिकारी कार्रवाई करने से डरते हैं।

सत्यनारायण तिवारी, ग्रामीण

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